बिहार पुलिस कांस्टेबल हिंदी गद्यांश (अवतरण) प्रैक्टिस : रवीन्द्रनाथ सांस्कृतिक स्वर के रूप में पूर्व और पश्चिम के समन्वय पर बल देते हैं, परन्तु पश्चिम विज्ञान को स्वीकार करते हुए भी उनहोंने उसके भौतिक प्रगतिशीलता के आदर्श को नहीं अपनाया है । वे समन्वय साधना का उत्कृष्टतम रूप भारतवर्ष की राष्ट्रीयता में देखते हैं । यह राष्ट्रीयता काल-प्रवाह में बहकर आई असंख्य जातियों-प्रजातियों के हार्दिक आदान-प्रदान, सहयोग और समन्वय के रूप में प्रतिफलित है। उनकी राष्ट्रीयता की कल्पना पश्चिम की शोषणशील एकांगी राष्ट्र-चेतना से भिन्न है, जो उपनिवेशों का निर्माण कर राष्ट्रीय जीवन – मान की अभिवृद्धि को ही एकमात्र सत्य जानती है । वस्तुतः भारतवर्ष की राष्ट्रीयता मानवीयता ही है और इसीलिए अन्तर्राष्ट्रीय चेतना से उसका किंचित् मात्र भी विरोध नहीं है । भारत का राष्ट्रधर्म मानवता की पुकार बनकर ही अपने आत्मधर्म को चरितार्थ कर सकता है बिहार पुलिस कांस्टेबल हिंदी गद्यांश (अवतरण) प्रैक्टिस
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प्रश्न 1. उपर्युक्त अवतरण का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक हो सकता है-
(A) रवीन्द्र और भारतीय राष्ट्रीयता
(B) राष्ट्रीयता का सच्चा स्वरूप
(C) राष्ट्र धर्म और आत्म धर्म
(D) पूर्व और पश्चिम का समन्वय
प्रश्न 2. रवीन्द्रनाथ के सांस्कृतिक स्वर की सर्वाधिक उल्लेखनीय विशेषता है-
(A) प्रगतिशीलता और विज्ञान का समन्वय
(B) अध्यात्म एवं विज्ञान का समन्वय
(C) भारतीय अध्यात्मवाद की प्रधानता
(D) पाश्चात्य वैज्ञानिकता की प्रमुखता
प्रश्न 3. ‘भारतीय राष्ट्रीयता’ को पर्याय कहा जा सकता है-
(A) भौतिकवाद का
(B) मानवीयता का
(C) अध्यात्मवाद का
(D) प्रगतिशीलता का
प्रश्न 4. पश्चिमी राष्ट्रचेतना को इसलिए एकांगी कहा गया है, क्योंकि वह –
(A) पारस्परिक आदान-प्रदान को महत्व देती है
(B) शोषण में विश्वास रखती है
(C) उपनिवेशवाद को बढ़ावा देती है
(D) राष्ट्रीय जीवन – मान की वृद्धि पर बल देती है
5. भारतीय राष्ट्रीयता अन्तर्राष्ट्रीय चेतना की अविरोधी है, क्योंकि वह-
(A) मानवीयता की समानार्थी है
(B) सहयोग और सौहार्द पर आधारित है
(C) पश्चिमी विज्ञान को स्वीकृति देती है
(D) सांस्कृतिक तत्वों पर बल देती है
बिहार पुलिस कांस्टेबल हिंदी गद्यांश (अवतरण) प्रैक्टिस
बिहार पुलिस कांस्टेबल हिंदी अपठित गद्यांश